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मैं तो गांव जातेंव संगवारी
गांव जातेंव
शहर म जीव असकट होगे
मैं तो गांव जातेंव
महतारी के अंचरा ल धर के
मैं
पाछू पाछू किंदरतेंव
बनके सुरता कर कर
मैं लइका बनतेंव
गली के धुर्रा माटी म
लोट पोट होके मैं खेलतेंव
जिहाँ जिहाँ खेलौं मैं
भंवरा अउ बांटी
उहें जाके खेलतेंव मैं
फेर भंवरा बांटी
पीपर के पीपरी ल
बिन बिन मैं खातेंव
उल्हा पाना पीपर के
सीसरी बजातेंव
मैं तो गांव जातेंव....
गिया गांठी के संगे संगे
बटुरा के खेत म उतरतेंव
नइ तो बरछा म पेल के
कुसियार ल चुहकतेव
गातेंव में साल्हो ददरिया
अउ बनतेंव मैं कन्हैया
सुआ - भोजली के गीत सुन के
साध लगथे
संगवारी मोर
मैं तो गांव जातेंव
साध हांवे अउ बड़का
ठाकुर देव के चौरा म ढुलगंतेंव
चढ़े परसाद जेकर
हेर हेर खातेंव
ठाकुर देव ल ठगतेंव थोरकन
थोरकन ठगातेंव।
सुरता आथे संगवारी
मोर गांव
चंदा -सुरुज , तलाव पोखरी
तिरैया संझा के याद आथे
सुरता आथे कोइली के कूक
अउ तोता मैना के
मिठ्ठ बोली के
मन होथे संगी
पंड़की परेवा कस
उड़ जातेंव गाँव म
मैं तो गांव जातेंव संगवारी
मैं तो गांव जातेंव ।
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बसन्त राघव
पंचवटी नगर,बोईरदादर,रायगढ़,छत्तीसगढ़
मो.न. 9039011458
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